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02 जून

कंप्यूटर क्या है ? परिभाषा, प्रकार ,पार्टस और इतिहास... What is computer in Hindi ?

कंप्यूटर क्या है :परिभाषा , प्रकार पार्ट्स की जानकारी हिंदी में।

नमस्कार दोस्तों ,

       स्वागत है इस लेख में आपका , इस लेख के माध्यम से हम जानेंगें  Computer क्या है ? इसकी परिभाषा क्या होती है। कंप्यूटर की शुरुआत कहाँ से हुई। आधुनिक जीवन को इसने किस प्रकार से प्रभवित किया है। हमारी उम्मीद है कि शायद ही कोई व्यक्ति हो जो कंप्यूटर का नाम न सुना हो।आप भी कहीं न कहीं कंप्यूटर के बारे में थोड़ा बहुत नॉलेज रखते होंगे। हो सकता है कि आप इसे सिर्फ  घर या  दफ्तर में रखा हुआ  एक  मशीन समझते हो या टेबल पर रखी हुई एक डिवाइस। हो सकता है कि आप के लिए कंप्यूटर का परिभाषा अलग हो लेकिन आपको यह  बात जान लेने की आवश्यकता है की कंप्यूटर घर या दफ्तर में रखी हुई कोई छोटा सा डिवाइस नहीं  है बल्कि आज की आधुनिक तकनीक की जान है।

COMPUTER 

आज लगभग सभी कार्यालयो में इसी मशीन से सभी काम होते हैं। आज सभी सेक्टर्स में इसका उपयोग होता है , चाहे व्यापार करना हो या शिक्षा प्राप्त करना हो या चित्रकारी करनी हो या किसी घर का नक्सा बनाना हो आप सभी काम आसानी से कंप्यूटर पर कर सकते है। आज के आधुनिक युग को देखिए ,एक मग्गी के पैकेट से लेकर हवाईजहाज कि टिकट तक सभी काम कंप्यूटर से ही हो जाते हैं। आज घर बैठे आप किसी भी इवेंट में शामिल हो सकते हैं कंप्यूटर के मदद से। किसी पैसे की लेन देन हो या हमरी मन पसंद की वस्तु घर बैठे माँगना हो , बस एक क्लिक पर सारे काम हो जाते है। जरा सोचिये कंप्यूटर ने हमारी जीवन को कितना आसान बना दिया है।


तो क्या आपको अभी  भी लगता है की कंप्यूटर कोई जानने की चीज़ नहीं  है तो शायद आप गलत है। मै आपको यकीन दिलाता हू , की यदि  आप जान जाएंगे कि कंप्यूटर क्या चीज है ,उसकी क्या कार्यप्रणाली है, मुख्य पार्ट्स के बारे में विस्तार से जान लेंगे तो आपको पूरा तकनीक समझ में आ जाएगी।,क्योंकि आज तकनीक जिस प्रकार  से बदल रह है उन सब का कारण कंप्यूटर ही है। 




शायद आपको समझ में आ गया होगा के इस लेख में आपको वास्तविक कंप्यूटर किसे कहते है। उसके बारे में सारी जानकारी मिलेगी और यदि आप एक विद्यार्थी ( student) है या कंप्यूटर सीखना चाहते है तो हमारा लेख आप के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। 

 

इस पोस्ट में आप निम्न्लिखित टॉपिक के बारे में पढ़ेंगे :-




कंप्यूटर  की परिभाषा  - (Definition of computer in Hindi)


कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है ,जिसका उपयोग गणना करने, जानकारी (information ) को एकत्रित करने तथा एकत्रित डेटा को पुनः प्राप्त करने के लिए तथा अन्य मशीनो को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। "


सरल भाषा में कंप्यूटर user से input लेता है तथा उसे process करने के बाद में output के रूप में Result देता है। इन सब के अलावा कंप्यूटर में डेटा को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरुरत पड़ने पर उसे पुनः प्राप्त किया जा सकता है।

(आप के मन में एक सवाल यह होगा की कंप्यूटर इनपुट के रूप क्या लेता है तो जबाब सीधा है आप उसे इनपुट के रूप में key bord or mouse or memory से जो अपने instructions दिया होगा उसी को process करने के बाद monitor  या speaker या printer के माध्यम से हमें output के रूप में Result देता है।)


"Computer" शब्द का "Compute' से लिया गया जिसका अर्थ  - गणना करना। "computer" शब्द का पहली बार प्रयोग 1663 में अंग्रेज लेखक र्रिचड ब्रेथवेट की पुस्तक " द यंग मैन गिलिनिंग्स " पाया गया और  उन्नीसवी सदी के अंत तक से इस शब्द को व्यहारिक रूप में लिया जाने लगा। उस समय इसका अर्थ वे यंत्र जो गणनाएँ करता हो। इसी प्रकार गणना करने वाली यंत्र को गणकयंत्र (calculating machine) या computer नाम दिया गया। 



शुरुआती दौर कंप्यूटर को सिर्फ गणना करने के उद्देश्य से बनया गया था ,ये कंप्यूटर आज के युग जितना आधुनिक नही थे और तो और इनमे काफी कमी थी,इन्हें रखने के लिए भी एक बड़े कमरे की जरुरत होती थी। इन्हे रखना एक आम आदमी के बस की बात नही थी। इस कंप्यूटर से काफी ज्यादा कमरे की तापमान बढ़ जाती थी , इस लिए Air condition लगन पड़ता था। 


 कंप्यूटर का अर्थ - Computer full From

कंप्यूटर का  अर्थ अन्य  website पर अलग अलग मिल सकती है, परन्तु कंप्यूटर के लिए ज़्यदातर उपयोग की जाने वाली है - Commonly operated Machine Particularly Used For Technical and Educational Research है।  


C                 Commonly

O                 Operated 
 
M                 Machine

P                 Particularly

              Used

             Technical

             Educational

             Research



कंप्यूटर की कार्यविधि 


किसी भी कंप्यूटर की कार्य करने की विधि चार प्रक्रिया से होकर गुजरती है। सबसे पहले कंप्यूटर यूजर से निर्देश लेता है, फिर उस निर्देश के आधार पर  प्रोसेसिंग  करता तथा प्रोसेस डाटा को स्टोर करना और अंत में डिस्प्ले करता है।


 इन कार्यो को निचे आरेख से समझे  - 




Input :-  इनपुट वह कहलाता है, जिसमे यूजर द्वारा कंप्यूटर को निर्देश या कमांड दिया जाता है। दूसरे शब्दों में यूजर द्वारा जो डाटा या जानकरी कंप्यूटर को दे जाती है ,उसे ही ' Input ' कहा जाता है। इसके अलावा डाटा को अन्य तरीको से भी एंट्री कराई जा सकती है। Input Device - कीबोर्ड, माउस, माइक्रोफोन ,स्केनर,  कैमरा इत्यादि। 




processing :- जब यूजर कंप्यूटर को जो डेटा (निर्देश ) देता है तो उसके आधार पर कंप्यूटर उसे प्रोसेस करता है। इस कार्य को कंप्यूटर में लगे CPU करता है। आमतौर पर CUP को कंप्यूटर का  मस्तिष्क कहा जाता है। CPU का पूरा नाम Central Processing Unit कहा जाता है। CPU ही पूरी डेटा को प्रोसेस करता है।




Output :- इनपुट किये गए डेटा का प्रोसेस होने के बाद computer उसे Output Device को भेज देता है। आमतौर पर आउटपुट यूजर को डिस्प्ले, स्पीकर और प्रिन्टर से प्राप्त होता है। Output Device - डिस्प्ले (monitor), स्पीकर, प्रिन्टर, Projector इत्यदि।





Storage :- इस पूरी प्रकिया में यूजर process किए गए डाटा को स्टोर कर सकता है और स्टोर किये गए डाटा को पुनः प्राप्त भी कर सकता है।





सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (Software and Hardware)




जिस प्रकार से हमारा शरीर कई सारे पार्ट्स से मिलकर बना होता है उसी तरह कंप्यूटर की भी कई सरे पार्ट्स होते है। इन सभी पार्टस को मुख्य रूप से  दो भागोंः Hardware और software में वाँटा गया है। 


Hardware वैसे पार्ट्स जिन्हे भौतिक रूप से छू व देख सकते है उन्हें, Hardware कहा जाता है। जैसे :- कीबोर्ड, माउस प्रिंटर इत्यादि। तथा


Software वैसे भाग को कहते है जिन्हे हम सिर्फ देख सकते है छू नही सकते बल्कि सिर्फ महसूस कर सकते है। software कंप्यूटर के अंदर काम करते है। इन्हे प्रोग्राम या एप्लीकेशन भी कहा जाता है, जो कंप्यूटर को बताते है की क्या और कैसे काम करना है। सॉफ्टवेयर कोई वस्तु या पार्ट्स नही हैं बल्कि वह एक कंप्यूटर भाषा या कोड रहता है जो कंप्यूटर में स्टोर रहता है।




आमतौर पर software को तीन भागों में बांटा गया है।



1. System software
2. Application software
3. utility software



System software :- system s/w वैसे s/w होते है, जिसका उपयोग यूजर अपने कामों के लिए नहीं, बल्कि कंप्यूटर को स्टार्ट या कंप्यूटर को कैसे काम करना है,उसके लिए यूज़ किया जाता है।System Software Hardware और software के बिच को Communicate ( जोड़ना ) करता है तथा पुरे कंप्यूटर को नियंत्रित करता है।


system s/w कंप्यूटर की आत्मा की तरह होता है। यदि यह कंप्यूटर के अंदर नही हुआ तो कंप्यूटर कोई भी काम नहीं करेगा। जितने भी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते है, वे सभी system सॉफ्टवेयर पर निर्भर करते है। इसलिए System s/w एक अहम भूमिका निभते है, कंप्यूटर में।



Application Software :- ये वैसे software होते है जिसका उपयोग यूजर अपने काम के लिए करते है। प्रत्येक Application software किसी खास एक कामों क्व लिए बना होता है। उदाहरण के लिए :- Office के काम के लिए M.S Office Accounting के लिए Tally Video के लिए max / VLC



Utility Software :- इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का use computer को वायरस से बचने के लिए किया जाता है।इसे Antivirus के नाम से भी जाना जाता है।



Hardware के कुछ पार्ट्स या कंप्यूटर का आतंरिक का भाग (Internal parts of computer )


  1.  SMPS :- SMPS का पूरा नाम Switched mood power supply होता है। इसे Power supply के नाम से भी जाना जाता है। इसका काम बहरी ऊर्जा को इनपुट करके Motherboard तक पहुंचना होता है। 


SMPS



2.  Motherboard :- Motherboard कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण भाग होता है, जिससे कंप्यूटर के सभी पार्ट्स जुड़े रहते है। यह कंप्यूटर के अंदर तथा बाहर के सभी उपकरणों को जोड़ता है। कंप्यूटर के अंदर पावर सप्लाई से लेकर अन्य हार्डवेयर को जोड़ने का काम Motherboard ही करता है। 



MOTHERBOARD


Motherboard को Main Circuit, Mainboard System board या logic board जैसे दूसरे नाम से भी जाना जाता है।



3. RAM :



RAM 

RAM का पूरा नाम Random Access Memory है। इसे प्राथमिक Memory के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अस्थाई (Temporary) Memory है। 

इसमें केवल current Time में किये गए काम का डाटा स्टोर रहता है। जैसे ही किसी Application को या Computer को close किया जाता है, Ram के अंदर का डाटा भी Remove हो जाता है। Ram काफी फ़ास्ट होती है लेकिन इसमें स्टोर करने की क्षमता अन्य के मुकाबले काम होती है।



4. ROM :-
                

Room कंप्यूटर का मुख्य और प्रथमिक Memory होती है। Room का पूरा नाम Read only Memory होता है। यह एक स्थाई Memory है।


 यह सिलिकॉन से बनी एक सेमीकंडक्टर चिप होती है, जिसके अंदर डेटा और प्रोग्राम्स स्थाई तौर पर स्टोर रहता है। यह एक ऐसी प्रयामरी Memory है, जिसमे संग्रहित डेटा व निर्देश को केवल पढ़ा जा सकता है, उन्हें परिवर्तित (Edit) या नष्ट (Delete) नही किया जा सकता। इसमें संग्रहित डेटा व प्रोग्राम कंप्यूटर बंद या विधुत सप्लाई न होने पर भी नहीं मिटते है, वे ज्यों के त्यों रहते है।



5. Storage Devices :-

STORAGE 



यह एक स्थाई मेमोरी है। इसका उपयोग कंप्यूटर में डाटा को स्थाई रूप से सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद डाटा कंप्यूटर के बंद होने पर या पावर सप्लाई न होने पर भी डाटा सुरक्षित रहता है।

हालांकि डाटा को अन्य प्रकार से भी सुरक्षित रखा जा सकता है। एक कंप्यूटर के अंदर का डाटा को सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार के storage Devices का उपयोग किया जाता है।  जैसे Pain Drive, USB FLASH DVD, Drive इत्यादि। 



कंप्यूटर का इतिहास :-   

आज के कंप्यूटर को देखें तो इसे किसी एक व्यक्ति ने नहीं बनाया है। इसे कई लोग मिलकर बनाते है, लेकिन सबसे पहले उनीसवीं सदीं में Charles Babbage नामक प्रसिद्ध mathematics professor ने एक Analytical Engine नामक एक गणना मशीन बनाया था और यही मॉर्डल आज के लिए कंप्यूटर का आधार माना जाता है। इसलिए "Charles Babbage" को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है। फिर इसके बाद प्रत्येक पीढ़ी के कंप्यूटर को संसोधन किया जाता रहा।  


कंप्यूटर की पिढ़ी :-


1. कंप्यूटर की पहली पीढ़ी ( Frist Generation of computer):- (1946 - 1956)

कंप्यूटर की पहली पीढ़ी 1946 से 1956 तक चली। इसकी शुरुआत मुचली तथा एकर्ट ने एनिएक नामक कंप्यूटर के निर्माण से की थी। यह कंप्यूटर आकर में काफी बड़े होते थे, इन्हे एक बड़े कमरे में रखा जाता था और इन्हे चलने में ज्यादा ऊर्जा की खपत होती थी। इसमें heat की समस्या भी होती थी। इनमे वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया जाता था। इसके मुख्य नाम थे - ENIAC, EDVAC, UNIVAC, etc.


2. कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी (2nd Generation of computer) :-              (1956 -1964)

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की शुरुआत 1956 में हुई। इसमें वैक्यूम ट्यूब की जगह Transistors का उपयोग किया जाने लगा।जिसके कारण से यह आकर में काफी छोटा हो गया और काम ऊर्जा भी खपत होने के साथ साथ सस्ता भी हो गया। इसके मुख्य नाम - IBM 7094, CDC 1604, UNIVAC 1108 



3. कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी (3nd Generation of computer) :-      (1965 - 1971)


तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का आगाज 1964 में हुई। यह कंप्यूटर बाकि के दो पीढ़ियों के कंप्यूटर से कभी बेहतर थे। क्योकि अब I.C (Integrated circuit) का अविष्कार हो चूका था। अब काम बिजली खपत तथा काम ऊष्मा उत्पन के साथ साथ डेटा को एंटर करने के लिए Keyboard तथा Mouse का उपयोग होने लगा। 



4. कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी (4th Generation of computer) :-
(1971 - 1985 )

1971 में चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर का आगाज हुआ। इसमें इंटीग्रेटेड सर्किट  का उपयोग होने लगा तथा इसी समय सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) का अविष्कार हुआ, जिसे माइक्रो प्रोसेसर के नाम से भी जाना जाता है। इस कंप्यूटर का आकर बहुत छोटा होगा ,जिसकी वजह से आम आदमी के पहुंच में यह कंप्यूटर आ गया। इस समय कोई भी कंप्यूटर खरीद सकता था। इसमें मेमोरी तथा कंप्यूटर के अनेक नेटवर्क का विकास हुआ। इसमें उच्च स्तरीय भाषाओं (c +, c ++)  उपयोग होने लगा। 


5. कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी (5th Generation of computer ) :-       (1985 से अभी तक )

1985 में कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी आई , जो अभी तक चली आ रही है। 1985 से लेकर अभी तक इसमें कई छोटे छोटे बदलाव किये गये है, जैसे कंप्यूटर से लैपटॉप में , लैपटॉप से टैबलट में , टैबलेट से मोबाईल में कन्वर्ट किये गई है। अब कंप्यूटर किसी रूम या टेबल पर नहीं बल्कि हमारे जेब में आ गए। अब कंप्यूटर काफी छोटे, कम ऊर्जा खर्च करने वाले , सस्ते और अधिक विस्वसनीय हो गए थे। 


कंप्यूटर के प्रकार (Types of computer) :- 



यदि आप सोचते होंगे कि कंप्यूटर एक P.C या लैपटॉप या टैबलट तक सिमित है तो शायद आप गलत है।  कंप्यूटर शब्द का प्रयोग आमतौर पर उन इलेक्ट्रॉनिक  डिवाइसों के लिए किया जाता है , जिसमे ये डिवाइस यूजर से इनपुट डेटा लेकर उसे प्रोसेस करके आउटपुट देता है। आज प्रत्येक सेक्टर्स में कंप्यूटर का उपयोग होता है , जैसे दुकानों , बैंको , पेट्रोल पंप , कार्यालयों में इत्यादि।  लेकिन हर सेक्टर्स के लिए एक अलग प्रकार का कंप्यूटर उपयोग होता है।


 दुकानों के लिए कैलकुलेटर , पेट्रोल पंप पर जिस मशीन से पेट्रोल देता है तो सबसे पहले ऑपरेटर उसे इनपुट देता है , उदाहरण - 500 का पेट्रोल देने के लिए सबसे पहले वह ऑपरेटर उस मशीन को इनपुट में 500 बताता है ,तब जाकर ग्राहक को  मशीन 500 का पेट्रोल देता है। तो देखे मशीन सबसे पहले इनपुट लिया फिर उसे प्रोसेस किया उसके बाद में ग्राहक को उतने रुपए का पेट्रोल दिया। तो ये भी एक प्रकार का कंप्यूटर ही है। इसी प्रकार दुकान में कैलकुलेटर , ये भी एक प्रकार का कंप्यूटर ही है। 


अतः कंप्यूटर को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है -
Type of computer







1. कार्य के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार :- कार्य के आधार पर कंप्यूटर को तीन भागों में बंटा गया है

A . एनालॉग कंप्यूटर (Analog computer ) :-   एनालॉग एक ऐसा कंप्यूटर है , जिसका उपयोग ज्यादातर विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षत्रे में  किया जाता है। यह कंप्यूटर भौतिक मात्राओं जैसे दाब, ताप, लंबाई, तापमान अदि को माप कर उन्हे अंको में व्यक्त करते है। इनकी गति काफी धीमी होती है। इस प्रकार के कंप्यूटर प्रचलन से बहार ही माने जाते है। उदाहरण के लिए वाहन का गति मीटर (speedometer), साधरण घड़ी , वोल्टमीटर इत्यादि। 


B. डिजिटल कंप्यूटर (Digital computer) :- डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग अंको की गणना करने के लिए किया जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक संकेतो पर कार्य करते है। ये कंप्यूटर दिआव्धारी अंक पद्धिति (0 या 1) का प्रयोग करता है, जिसे Binary number system के नाम से भी जाना जाता है। वर्त्तमान में इस कंप्यूटर की प्रचलन सबसे अधिक है तथा इसकी गति भी तीव्र होती है। 


c. हाइब्रिड कंप्यूटर (hybrid computer) :- यह एक ऐसा कंप्यूटर है, जिसके अंदर एनालॉग और डिजिटल दोनों कंप्यूटर का गुण मौजूद रहता है। इसमें गणना और प्रसंसकरण के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि इनपुट और आउटपुट के लिए एनालॉग संकेतो का। इस प्रकार के कंप्यूटर का उपयोग अस्पताल ,रक्षा क्षेत्र और विज्ञान क्षेत्र में किया जाता है। 



2. आकर के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार :- आकर के आधार पर कंप्यूटर को चार भांगो में बाँटा गया है


A . सुपर कंप्यूटर (super computer) :- यह मानव द्वारा बनाया गया अबतक का सबसे विशाल और सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर है। यह कंप्यूटर आकर में अबतक का सबसे बड़ा कंप्यूटर है। इसे नॉन - वॉन न्यूमेन सिद्धांत के आधार पर बनाया गया है। इसमें अनेको माइक्रोप्रोसेस्सर लगे होते है। इनकी गणना क्षमता और मेमोरी अत्यंत उच्च होती है। इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते है। 
 
इस कंप्यूटर का उपयोग विज्ञान, शोध कार्य मौसम की भविष्वाणी, परमाणु उपकरण तथा ग्रहों की अनुसंधान के कार्य में किया जाता है। 

पहला सुपर कंप्यूटर 1972 में विकसित हो चका था, जिसका नाम    इल्लीयाक 4 था। इसने 1975 में काम करना आरंभ किया। यह एक बार में कंप्यूटर का काम कर सकता था। 

हमरा देश भी इस उन गिने चुने देश में शामिल है , जिसके पास अपना सुपर कंप्यूटर है। भारत के पास परम - 8000 (Param 8000) नामक सुपर कंप्यूटर है। 




B. मेन फ्रेम कंप्यूटर (main frame computer) :- इस  कंप्यूटर की क्षमता सुपर कंप्यूटर से थोड़ा काम होती है। इसमें बहुत सारे डेटा को fast processing किया जाया जा सकता है। इस कंप्यूटर पर सैकड़ो यूजर लगातार 24 घंटे काम कर सकते है। इस कंप्यूटर को केवल या नेटवर्क के द्व्रारा माइक्रो कंप्यूटर को आसानी से जोड़ा जा सकता है। जिसे N - computing कहा जाता है। इस कंप्यूटर का उपयोग बड़ी कंपनियां बैंक टेलीकॉम सर्विस आदि किया जाता है। 



C. मिनी कंप्यूटर (Mini computer) :- मिनी कंप्यूटर को मिडिल रेंज का कंप्यूटर भी कहा जाता है। इस प्रकार को  कंप्यूटर  किसी खास क्षेत्र में किसी खास काम के लिए बनाया जाता है। जैसे - बैंकिंग, रेलवे, छोटी कम्पनी इत्यादि। 


D. माइक्रो कंप्यूटर (Micro computer) :- ये कंप्यूटर आकर में सबसे छोटे, सबसे सस्ते और सबसे ज्यादा उपयोग लिए जाने वाला कंप्यूटर है। इसका विकास 1970 में हुआ , जब मइक्रोप्रोसेस को योपयोग में लिया जाने लगा। इसका उपयोग सामन्य उदेश्य के कामों के लिए किया जाता है। उदाहरण - ऑफिस, व्यपार, मनोरंजन इत्यादि में। 



3. उदेश्य के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार :- उदेश्य के आधार पर कंप्यूटर को दो भांगो में  बांटा गया है - 

A. सामान्य उदेश्य कंप्यूटर (General purpose computer) :- यह ऐसे कंप्यूटर होते है, जिससे सामन्य कार्य, डेटा प्रबंधन और लेखन के लिए किया जाता है। इसकी क्षमता निश्चित होती है और विशेष कार्य नही सकते। 


B. स्पेशल कंप्यूटर (Special computer) :- इस प्रकार के कंप्यूटर को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता है। इसकी क्षमता इसकी कार्य के अनुरूप होती है। इस कंप्यूटर का उपयोग मौसम विज्ञान, यातायात नियंत्रण , अंतरिक्ष विज्ञान इत्यादि में किया जाता है।  

कंप्यूटर के लाभ और हानि :-


आज आधुनिक युग को कंप्यूटर ने कितना प्रभावित और उपयोगी बनया है, ये हम सभी जानते है। आज दुनिया का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जहाँ पर कंप्यूटर का उपयोग नहीं हो रहा है, लकिन इसका उपयोग दो प्रकार से हो रहा है, एक मानव के विकास के हित में तो दूसरा इसके दुरूपयोग भी बहुत हो रहा है। कंप्यूटर से लाभ और हानि दोनों हो रहा है। तो हम लाभ और हानि दोनों पर विचार करते है -

कंप्यूटर से लाभ :

  • कंप्यूटर सबसे ज्यादा इसलिए प्रचलित है क्योंकि यह सबसे तीव्र गति और सरलता से काम करता है। यह करोड़ो की गिनती सैकेंडों में कर लेता है। जिससे समय की काफी बचत होती है।  
  • कंप्यूटर के अंदर हम बहुत सारा डेटा को सुरक्षित रख सकते है और जब चाहे उसको पुनः प्राप्त कर सकते है। 
  • कंप्यूटर से हम दुनिया के किसी भी कोने में संपर्क कर सकते है या किसी भी वस्तु को खरीद या बेच सकते है। 
  • इसमें डेटा को एक जगह से दूसरे जगह कहीं भी ट्रांसफर किया जा सकता है। 
  • इस पर अनेक काम कई आदमी  एक साथ कर सकते है। 
  • कंप्यूटर अब पहले के मुकाबले काफी सस्ता हो चूका है और एक जगह से दूसरी जगह कैरी ( ढोना )काफी आसान हो गया है। 
  • कंप्यूटर के माध्यम से अब हम दूर बैठे अपनों से आसानी से वीडियो कलिंग से बात कर सकते है। 
  • कंप्यूटर से संचार के कई माध्यम को विकसित किया गया है। 
  • कंप्यूटर मनोरंजन का भी एक साधन बन चूका है। कंप्यूटर से चैटिंग कई सारे गेम को खेला जा सकता है।
  •  कंप्यूटर से दुनिया के किसी भी देश में आयोजित खेल को आसानी से घर बैठे देखा जा सकता है या कई समारोह में हिस्सा लिया जा सकता है।  

ये थे कंप्यूटर से होने वाले लाभ, अब दूसरी तरफ हानि को देखते है :

कंप्यूटर से हानि :

  • कंप्यूटर से सबसे ज्यादा हानि तब होती है जब हम इसका जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल करते है, इससे हमारे स्वास्थय पर गहरा असर पड़ता है। द्रष्टि कमजोर होना, कमर दर्द , रक्त संचार की कमी इस प्रकार की स्वास्थ संबंधी समस्या आ जाती है। 
  • कंप्यूटर पर लोग व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा को स्टोर करके रखते है, ऐसे में कई बार हैकर इन डेटा को कंप्यूटर वारयस के द्वारा चोरी कर लेते है। इसलिए कंप्यूटर पर सेव हुए डेटा पर हमेशा खतरा बना रहता है। 
  • आज हमलोग कंप्यूटर पर बहुत कुछ सिख सकते है, लेकिन आज के युवा इस पर फिल्में और गेम खलने तथा बेकार की चीजें देखकर अपना समय बर्बाद करते है। इस प्रकार भी कंप्यूटर का दुरूपयोग हो रहा है। 
  • अब तो कई क्षेत्रों में इंसान द्व्रारा होने वाला कार्य कंप्यूटर से हो रहा है। जिससे नौकरी की संभवना घट रही है। आए दिन बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ रही है। 
  • कंप्यूटर से आए दिन धोका धड़ी की मामले भी तेजी से बढ़ रहे है।  

निष्कर्ष  :- अतः कंप्यूटर को अगर हम सही से उपयोग करे तो यह हमारे लिए काफी लाभप्रद है। लेकिन उसी कंप्यूटर को हम गलत तरीके से उपयोग करे तो इसका काफी नुकसान भी है। इसलिए हमें कंप्यूटर का सही ढंग से जितना जरुरत है इसका उतना ही यूज़ करना चाहिए। 


कंप्यूटर सीखना हमारे लिए कितना जरुरी है:-


 हम सभी को पता है की कंप्यूटर परआज कितनी निर्भरता बढ़ गई है। जिस प्रकार से तकनीक बदल रहा है उसी प्रकार हमें भी खुद को बदलने की जरुरत है। आज प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटर का तेजी से कार्य बढ़ा है ,इसलिए हर व्यक्ति के लिए कंप्यूटर सीखना जरुरी हो जाता है। आज आपको कहीं पर भी नौकरी करनी हो कंप्यूटर आपको कंप्यूटर का बेसिक नॉलेज होना ही चाहिए। 


आज का तकनीक काफी हद तक कंप्यूटर से बदलता जा रहा है। प्रत्येक क्षेत्र में इसका उपयोग बढ़ता जा रहा है। आज किसी भी विषय पर रिसर्च करनी हो या किसी भी चीज़ की जानकारी प्राप्त करनी हों आप घर बैठे आसानी से कंप्यूटर पर कर सकते है। 



कंप्यूटर सिर्फ काम के उदेश्य से नहीं बनाया गया बल्कि यह एक दूसरे को जड़ने का भी काम कर रहा है। किसी के लिए मनोरंजन के लिए तो किसी के लिए सीखने के लिए। इसलिए हमें कंप्यूटर सीखना चाहिए। इससे न सिर्फ हमरी कलाएँ बढ़ेगी बल्कि हम किसी भी काम को तेजी के साथ साथ सटीक काम कर सकेंगे। 


अब तो कंप्यूटर से किसी भी कोर्स को आसानी के साथ घर बैठे भी किया जा सकता है। आप ऑनलाइन लर्निंग का नाम तो सुने ही होंगे , जिससे घर बैठे आप कई कोर्स कर सकते है ,लेकिन इसके लिए भी काम से काम आपको कंप्यूटर स्किल्स की जरुरत पड़ेगी। 


अतः हमलोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे की हमें कंप्यूटर की जानकरी तो होनी ही चाहिए। मगर आपको एक अच्छा कंप्यूटर चलने के साथ साथ उसका सही ढंग से उपयोग करना भी आना चाहिए। 


तो इस पोस्ट के दर्शोकों, हमने इस पोस्ट के माध्यम से कंप्यूटर से जुड़ी बेसिक नॉलेज प्राप्त किया है। हमने यह देखा की कंप्यूटर किस प्रकार काम करता है ,इसकी शुरुआत कहा से हुई। किसने इसे बनाया इसकी परिभाषा क्या होती है। कंप्यूटर का अर्थ से लेकर इसकी इतिहास तक इस लेख में उल्लेख किया गया है। उम्मीद है की यह पोस्ट आपको पसंद आई होंगी। फिर भी कोई त्रुटि हो तो आप संपर्क कर सकते हैं। 



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